बिटीया क्यों सयानी हो गई ?
बिटीया क्यों सयानी हो गई ?
मेरी बिटिया अब सयानी हो गई है
लगता है जैसे के हम सब की नानी
हो गई है...,
पहले,मेरी ऊँगली पकड़ कर
चलती थी
अब मुझे संभालने के लिए हाथ
बढ़ाती है...,पहले,मेरे काँधों पर
बैठ जाया करती थी,अब मेरे
काँधों तक आती है,
पहले,मैं उसे रोता देख कर
परेशान हो जाता था,अब वो
अपने मन की खिड़की से मेरे
मन में झाँक लेती है
मैं परेशान हूँ ये,मेरा चहरा देख
कर ही आँक लेती है,
पहले,वो ज़िद करती थी कि दफ़तर
से लौटते हुए,मेरे लिए खिलौने ले
आना,अब कहती है कि पापा
आप समय पर घर लौट आना,
पहले,वो मेरी पीठ पर बैठ कर
मुझे घोड़ा गाडी बनाती थी
अब वो खुद की गाड़ी (कार)
चलाती है
पहले मैं उसे स्कूल छोड़ कर
आता था
अब वो मुझे दफ्तर छोड़ने आती
है,
पहले दरवाज़े पर टकटकी बाँधें राह
देखती थी कि जब पापा आएँगे
तभी उनके हाथ ये खाना खाऊँगी
अब,बाट देखती है के पापा
आएँगे तो अपने हाथ गर्म रोटी
बनाकर खिलाऊँगी,
पहले,वो झट से सो जाती थी
जब भी मैं उसे अपनी बाँहों में,
लगता था झुलाने,अब मैं सोने
के लिए लेटता हूँ तो वो
आकर,बैठ जाती है मेरे सिरहाने,
पहले,मैं उसे ज़िन्दगी के सबक
सिखाता था आज वो मुझे
समझदारी के पाठ पढ़ाती है
पहले,मैं उसे उसकी गलतियों
पर डाँटता था,अब वो
मुझे डाँट लगाती है,
कभी-कभी समझ नहीं पाता कि
ये मेरी बेटी है या माँ
डरता हूँ कि जब चली जाएगी
ससुराल तो ऐसा प्यार फिर
मिलेगा कहाँ ?
कल तक जिस पर पूरा हक था
मेरा,आज वो उम्र के उस पड़ाव
पर आ गई के बैगानी(पराया घर)
हो गई,
इससे तो वो पहले ही अच्छी थी
आज सोचता हूँ कि आखिर क्यों
वो इतनी जल्दी सयानी हो गई?
