बिरहनी की तड़प
बिरहनी की तड़प
तुम्हारे बिन अधूरा मैं मेरे बिन तुम अधूरी हो,
मिलन का योग हो जाए तभी कोई बात पूरी हो !
तुम्हारे बिन अधूरी मैं मेरे बिन तुम अधूरे हो,
मिलन का योग हो जाए तभी कोई बात पूरी हो !!
कहाँ बैठे हो छुपकर तुम,
मेरी आखियाँ तरसती है !
जरा तुम सामने आयो,
तभी कोई बात बनती है !!
तुम्हारे बिन अधूरी मैं मेरे बिन तुम अधूरे हो,
मिलन का योग हो जाए तभी कोई बात पूरी हो !!
नहीं छुपकर मैं बैठा हूँ,
तुम्हारी याद आती है !
करूँ क्या कुछ नहीं सूझे,
मुझे रह - रह सताती है !!
तुम्हारे बिन अधूरा मैं मेरे बिन तुम अधूरी हो,
मिलन का योग हो जाए तभी कोई बात पूरी हो !!
मेरी हालत को तुम देखो,
मुझे सब ताने देते हैं !
“रहोगी कब तलक यूँही”,
सभी यह बात कहते हैं !!
तुम्हारे बिन अधूरी मैं मेरे बिन तुम अधूरे हो,
मिलन का योग हो जाए तभी कोई बात पूरी हो !!
चले आओ मेरे प्रियतम,
मुझे बस प्यार तुम देदो !
नहीं कुछ चाहिए मुझको,
मुझे बस साथ तुम देदो !!
तुम्हारे बिन अधूरी मैं मेरे बिन तुम अधूरे हो,
मिलन का योग हो जाए तभी कोई बात पूरी हो !
तुम्हारे बिन अधूरा मैं मेरे बिन तुम अधूरी हो,
मिलन का योग हो जाए तभी कोई बात पूरी हो !!