STORYMIRROR

मिली साहा

Inspirational

4.8  

मिली साहा

Inspirational

बिना शर्त प्यार करती है माँ

बिना शर्त प्यार करती है माँ

2 mins
376


ना कोई शर्त रखती और ना कुछ पाने की इच्छा रखती है।

स्वयं को भी भुला देती जो संतान के लिए वो मांँ होती है।।


नौ माह रखती गर्भ में हर तकलीफ़ सह जाती है हंँसकर।

सींचती है रक्त से अपने लम्हा-लम्हा इंतजार वो करती है।।


प्रसन्नता से भर उठता है मन जब सुनती है पहली आहट।

पहली बार शिशु का लात मारना एहसास अद्भुत पाती है।।


 वो नाम पिता का देती है असीम प्रसव पीड़ा सह कर भी।

स्वयं तो मातृत्व के एहसास को ही उपहार समझ लेती है।।


प्रेम की है प्रतिभूति माँ त्याग और बलिदान की पराकाष्ठा।

केवल ज़न्म ही नहीं देती है संतान को जीवन सौंप देती है।।


मातृत्व को बनाकर श्रृंगार ख़ुशनसीब है खुद को समझती।

नींद बेचकर कई रातों की संतान का सुख खरीद लाती है।।


>

शिशु का पहली बार चलना गिरना समा लेती है आंँखों में।

हृदय मोम सा कोमल ज़रूर पर पाषाण सी सुदृढ़ होती है।।


एक-एक कोर खिलाने को जाने कितने वो करती है जतन। 

कभी सुनाती कहानियांँ तो कभी चांँद तारे वो दिखाती है।।


दुःख की हवा ना छू सके शिशु को ढक लेती है आंँचल से।

जीवन की तपती धूप में वो शीतल छाया सी बस जाती है।।


बारिश में वो छतरी समान पतझड़ में बन जाती है वसंत।

संतान के लिए वो ढाल बन कर तूफानों से लड़ जाती है।।


ले लेती स्वयं पे विपदा सारी मांँ होती है संजीवनी समान।

संतान कहे कुछ उससे पहले ही हर बात समझ जाती है।।


जीती है वो सदैव प्रसन्न रहती है मुख देखकर संतान का।

एक मांँ ही तो है जो इस जग में बिना शर्त प्यार करती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational