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Pratibha Bhatt

Abstract Inspirational

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Pratibha Bhatt

Abstract Inspirational

बिखराहट की मेज़

बिखराहट की मेज़

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मेज़ पर होती है बातों

से ज्यादा बिखरापन

भावनाओं का, अपेनपन का

झूठे बर्तनों के साथ बिखरे

अहसास के साथ

भोजन का आनंद लेने

से ज्यादा और भूल जाते है

आनंद के साथ कोई कायदा

भाग दौड़ के जीवन में

ठूंसते चले जाते है

नाम मात्र का भी शुक्रिया अदा

किए बिना हर रात लौट आते है

झूठे बर्तन बिखरी रसोई

खनकाती हुई आपधापी में

होती है रोज सुबह शाम

समेट लो उन शामों को अब

लौट आओ उन रातों को जल्दी

ले लो सुबह की धूप

अन्न की करो उपासना

मेज़ पर बैठो अपनों के साथ

कुछ निवाले भोग के

ईश्वर को करते धन्यवाद

समेट जायेगी बिखराहट

खिल आएगी मुस्कराहट

थोड़ा सा संयम और समय

के प्रबंधन के साथ

रसोई मेज पर पड़े बरतन

करीने से जमे आमंत्रित करेंगे

उस भोज्य आनंद को!!!!


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