बीते पल
बीते पल


हास्य कि भाषा नहीं लिखी है ना ही गजल सुनता हूं
आइए कुछ मेरे बचपन के पल याद दिलाता हूं।
बचपन के उन दिनों को याद हमेशा करता हूं
शायद आ जाए खुशी के वो पल दुआ रब से करता हूं।
बचपन की वो मस्ती वो खेल न जाने कहां गया
समय तो अनमोल है ना जाने कब बीत गया।
पूरे दिन मिट्टी में खेलना और ना कोई ग़म था
चाहे कुछ भी हो लेकिन बचपन के दिनों में दम था।
उन दिनों के खेलो में खुशी का ठिकाना न रहता था
उस समय में ना थी चिंता और ना ही कोई फैशन था।
बचपन तो बचपन था बहुत कुछ शिखा गया
चला तो गया लेकिन अपनी निशानी छोड़ गया।
बचपन में जब रूठ जाते थे तो घरवाले रोज मनाते थे
ना जाने कहां गए वो दिन जब हम भी मर्जी चलाते थे।
बचपन का वो हसीन पल लौट कर ना आएगा
तब क्या पता था कि ये इतना जल्दी बीत जाएगा।
बचपन के पलों को याद कर के वर्तमान मत भूलना
यादों का झूला है ये इस पर रोज रोज मत झूलना।
इन यादों को जीवन में हमेशा संजोए रखना
हौसला अपने दोस्तों का भी बढ़ाए। रखना।
कर हौसला पद अपने कामयाबी की तरफ बढ़ाए रखना
रामदेव की चाहत यही हौसला आपका भी बढ़ाए रखना।
पद उन्नति के बढ़ाए रखना संस्कारों को याद रखना
हो जाएंगे सारे कार्य पूर्ण माता पिता को खुश रखना।