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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

भूतल के इस रंगमंच पर

भूतल के इस रंगमंच पर

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भूतल रूपी रंगमंच पर चलता अनवरत तमाशा,

हरि इच्छा से अभिनय का मिला मौका जरा सा।

त्रुटि विहीन प्रदर्शन हेतु न हों असावधान जरा सा,

दर्शकों की प्रशंसा भाती बुरा लगता अपमान जरा सा।


जो चूक कुछ हो जाए मंच छोड़ने से पहले सुधार लें हम

समाज में एक परंपरावाहक हैं ये न भूलें कभी भी हम।

मिले आदर्शों को हम सतत् उत्कृष्टता की ओर ही बढ़ाएं,

पथ कंटकों - बाधाओं से कभी न विचलित हम हो जाएं।


सुपथ का चयन कर सत्कार्य रूपी सुमन उस पर सदा बिछाएं,

परहित की मशाल लेकर उसको आदर्श आलोक से जगमगाएं।

आलोक ज्योति तीव्रतर रहे ही होती रचें सदा हम ऐसी परंपराएं,

जब तक रंगमंच पर हैं हम तब तक पूरी शक्ति से अभिनय निभाएं।


प्रभु निर्देशक इस रंगमंच का हम सबको अभिप्रेरित वह करता है,

अभिनय की आजादी लेकर हर कोई ही पग इस रंगमंच पर धरता है।

हर कलाकार अपना फिर अभिनय अपनी क्षमतानुसार ही करता है,

सही हो या गलत रंगमंच पर प्रभु कभी भी हस्तक्षेप न कोई करता है।


राग-द्वेष अनुराग रहित शुद्ध भाव से श्रेष्ठ कार्यों का सदा चयन करें,

निर्बलता और अहम् भावों को तज कर निज कर्त्तव्य को नमन करें।

सजग रहें हम सदा प्रभु के निर्देशों का सतत् ही हर पल ही ध्यान करें,

सब कलाकार हैं एक ही प्रभु-मंडली के सबका अपने सम सम्मान करें।


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