भूलो न उनको
भूलो न उनको
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क्यों हम
विस्मृत कर बैठे
जो हीरे माँ भारती ने जाये थे
अपने लहू से सींचकर
जिन्होंने स्वतंत्रता के पुष्प खिलाए थे
शत् शत् नमन है उन वीरों को
जो आज़ादी लाए थे
स्वातन्त्र्य बलि वेदी पर
जिन्होंने अपने प्राण लुटाए थे।
दम-खम से उन वीरों के तो स्वयं था काल
भी थर्राता
कायर अंग्रेज़ों का कुनबा
बाल न बांका था कर पाता
आज भी भारत के सीमा रक्षक
सजग सतर्क वे प्रहरी
जिनके कतरा-कतरा खून से
पाईं हमने नींदें गहरी
उनके जीवन से जो जुड़े थे
उनकी सुध भी ले लो आज
क्रांति वीर कर गये बहुत कुछ
अब बारी कुछ करे समाज
आज है उत्सव की बेला
झूम नाच कर खुशी मनाना
उनकी ही सौगात ये हमको,
वह कुर्बानी भूल न जाना।