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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Romance

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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Romance

बहुत दूर हो तुम

बहुत दूर हो तुम

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इस सर्द मौसम की याद हो तुम 

महकते फूलो की बात हो तुम,

चाह की बढ़ती बेकरारी 

पर बहूत दूर हो तुम 

पर बहुत दूर हो तुम।


दिन-ब-दिन आस लगाये बैठे रहते 

इस दिल के ख्वाब हो तुम,

ऐतबार के बहाने क्या 

बस बहुत दूर हो तुम 

बस बहुत दूर हो तुम।


रात गई बात गई 

बीते रात कमल दल फूले 

तुम चाहे जहाँ रहो 

पर हम नहीं भूले,

जीने की आस तुम 

क्या हुआ बहुत दूर हो तुम 

क्या हुआ बहुत दूर हो तुम।


आंखों मे पानी की तरह 

जिन्दगी का बहाव हो तुम,

एक मुलाकात जरूरी है 

इस उम्मीद की लाज हो तुम 

पर बहुत दूर हो तुम 

पर बहुत दूर हो तुम।


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