भुला कर हर बात मैं यूं चला जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
भुला कर हर बात मैं यूं चला जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
भुला कर हर बात मैं यूं चला जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
अपने जज़्बात लुटाकर ठगा जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
बगैर तेरे काट दिये हैं दिन जिंदगी के यूं ही हमने,
दिल से तेरी याद मिटा जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
ख़त लिखे थे जो तुझको ,रातों को उठ उठ कर हमने,
दिल के टुकड़ों को यूं जला जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
प्यार में कुछ पाना नहीं होता, सब होता है खोना,
फिर यार के हाथों दगा खा जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
उनको यह शौक़ कि देखें जुल्म की इंतहा क्या है,
आज फिर दर्द में भी मुस्कुरा जाऊं यह जरूरी तो नहीं।
राख होने तक तुम दिल में आग लगाते न थके,
आग सीने की तुझको दिखा जाऊं यह जरूरी तो नहीं।