भटकते रकीब
भटकते रकीब
तेरी चाहतों के जहां में रकीब देखे जाएंगे
खिलते शबाब पे फूटते नसीब देखे जाएंगे।
अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागते आए जो
तेरी कातिल अदाओं के करीब देखे जाएंगे।
तेरी बढ़ती जरूरतों को पूरा करते करते ही
खुद की जरूरतों के लिए गरीब देखे जाएंगे।
फूल बिछाए रखे हैं वो मुहब्बत की राहों में
मतलब निकलने पे चेहरे अजीब देखे जाएंगे।
बहुत संभला हुआ है 'सिंधवाल' इन राहों पे
इधर मुहब्बत भरे दिल कसीस देखे जाएंगे।

