भटकते कदम फिर उजाले की ओर
भटकते कदम फिर उजाले की ओर
रात की कालिमा भी धुल जाती हैं
सूरज की किरणें नयी रोशनी लाती हैं
चिड़ियाँ भी चेहकने लगती है
शाम ढले अपने घोंसले में लौट आती हैं।
हर उदासी किसी खुशी का
निमन्त्रण देती हैं,
जिंदगी हर पल
एक नये मौके देती है
गल्तियां होती हैं कई इन्सान से
पर सुधरने के मौके भी जिंदगी देती है।
मान और सम्मान सब अपने हाथ में है
हर ठोकर खा, सीख सीखना
अपने आप में है
"गिर "पर उठ खड़ा हो
कुछ मत सोच तू इंसान हैं,
भगवान हमेशा तेरे साथ में है।।
मानव जीवन मिलता है एक बार
जी ले जिंदगी नाच ले मस्त्मौला बन
क्यों बैठे डर के ठिठुर कर?
हमें भी हक है,
तो आगे बढ़ कुछ अलग कर।
क्यों सोचें सहम कर ?
हो जाती है गलती हर किसी से
कभी न कभी कहीं पर,
कई दरवाजे बंद हो जाते है
कई राहें भी मुश्किल दिखतीं है
पर रुक मत, नयी राह बना
अपनी मंजिल पा और आगे बढ़।
दिल अपना हमेशा बढ़ा रख
सोच अपनी सकारत्मक रख
कोई अपना अगर काफ़ी
अरसे बाद लौट कर आये
चाहे उसने तेरे साथ कैसे रिश्ते निभाएँ
पर एक बात हमेशा याद रख
पुरानी कहावत है जो चली आ रही हैं
सुबह का भुला अगर शाम को वापिस आए
तो उसे भुला नहीं कहतें ?
उसे दिल से लगा और साथ-साथ मिल
अपना काफ़िला आगे बढ़ा।।
प्यार दे सम्मान दे
और एक सुनहरा भविष्य सजा।
