भटक रहा है वो
भटक रहा है वो
दर बदर भटक रहा है वो
ठांव देने की बात कर रहा वो
धूप में छांव में भंवर में
गुनगुनाता चल रहा वो
इश्क की बात जो चली है तो
इश्क में डूबा हूँ कह रहा वो
झूठ की महफ़िल सजी जब
सबसे झूठा खुदी को कह रहा हो
दुखों के घने काले जंगलों में
रात रानी सा महक रहा है वो
युद्ध का उन्माद है और युद्ध भी
जीत का कोई मंत्र पढ़ रहा वो