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Juhi Grover

Abstract

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Juhi Grover

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भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार

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भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार,

आखिर क्या है ये भ्रष्टाचार,

जानते ही नहीं हैं हम, और,

बिना जाने कैंसे हो उपचार।


हम भी करते हैं भ्रष्टाचार,

तुम भी करते हो भ्रष्टाचार,

अब यही है हमारा शिष्टाचार,

खून में मिला है ये व्यवहार।


क्यों? नहीं जानते, बोलो तुम,

लालच आया नहीं है कभी,

बिना हक के कुछ मिला हो,

चोरी छिपे रख लिया कभी।


सच सच बताओ अब तुम,

कुछ मुफ़्त में अच्छा नहीं,

क्या कुछ छिपा लेते हो तुम

क्या तुम भी भ्रष्टाचारी नहीं।


बेटा कुछ उठा लाया कहीं से,

रोका कभी उसे,टोका कभी,

नहीं, उल्टा शाबाशी दी उसे,

नहीं सोचा क्या किया अभी।


और सामान लेने भेजा जब,

बेटे से मांगा हिसाब तुम ने,

बचे ज़्यादा थे,दिये तो कम,

टोका कभी उसे ही तुम ने।


सामान लेने गए बाज़ार में,

वापसी में पैसे ज़्यादा मिले,

लौटाए वापिस कभी तुमने,

अाती लक्ष्मी भाती नही किसे।


यही ही है हमारा भ्रष्ट आचार,

क्या किया कभी हमने विचार,

हम बनाते हैं कल का भविष्य,

हम ही फैला रहें हैं भ्रष्टाचार ।


कोसते हैं हम दूसरों को ही,

क्या हमारा कुछ कर्तव्य नहीं,

हमीं से पनपे हैं नेता भी सभी,

क्या कहीं हम भ्रष्टाचारी नहीं।


भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार,

आखिर क्या है ये भ्रष्टाचार,

जानते ही नहीं हैं हम, और,

बिना जाने कैंसे हो उपचार।


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