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Harish Bhatt

Classics

4  

Harish Bhatt

Classics

भ्रम

भ्रम

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कभी-कभी

क्यों लगता है

जैसे आप मेरे हो

और मैं आपका

ऐसा क्यों लगता है


कि हम और तुम

है एक राह के राही

कभी कभी 

ना जाने क्यों 

ऐसा लगता है

क्या तुमको भी 

लगता है ऐसा 

मेरे मन का 


भ्रम ही होगा

लेकिन फिर भी 

ख्याल अच्छा है

कभी कभी

लगता है मुझे

ना होता भ्रम तो 


और रास्ते होते अलग 

मंजिल भी और होती

खुशनुमा होती जिंदगी

काश ना होते हम और तुम

आप होते सिर्फ आप

और मैं होता सिर्फ मैं।


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