भक्ति मार्ग
भक्ति मार्ग
रात मधुर ये, नीर सी शीतल,
राग मन का,
अग्नि सा चंचल,
दो स्वर ही बस गाए,
रा से राह वो चल ओ साधक,
म से मंगल जहाँ हो जाए,
बस राम राम बोल,
हर श्वास में भरकर,
ये ही भक्ति मार्ग कहलाए।
रात मधुर ये, नीर सी शीतल,
राग मन का,
अग्नि सा चंचल,
दो स्वर ही बस गाए,
रा से राह वो चल ओ साधक,
म से मंगल जहाँ हो जाए,
बस राम राम बोल,
हर श्वास में भरकर,
ये ही भक्ति मार्ग कहलाए।