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Pradeepti Sharma

Abstract Others

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Pradeepti Sharma

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भक्ति मार्ग

भक्ति मार्ग

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रात मधुर ये, नीर सी शीतल, 

राग मन का, 

अग्नि सा चंचल, 

दो स्वर ही बस गाए, 

रा से राह वो चल ओ साधक, 

म से मंगल जहाँ हो जाए, 

बस राम राम बोल, 

हर श्वास में भरकर, 

ये ही भक्ति मार्ग कहलाए



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