नई सुबह
नई सुबह
नई सुबह होगी यार, रोता क्यों है
अँधेरा छँट जाएगा, तू धीरज खोता क्यूँ है
रात लम्बी है पर रोशनी होगी ज़रूर, उम्मीद खोता क्यूँ है
ये मौत के सौदागर जीत जाएँगे, ऐसा तू सोंचता भी क्यूँ है।
तू यूँ घुट घुट मर जाएगा, जुबां को रोकता क्यूँ है
तू यहाँ अकेला है, ऐसा तुझे लगता क्यूँ है
तेरे साथ खुदा नहीं, ऐसा ख़याल लाता ही क्यूँ है
उम्मीद पर है ये दुनिया क़ायम, तू ये भूलता क्यूँ है।
वक़्त बदलता है, कोई ठहरा पानी तो नहीं
मुश्किल ये तेरी ज़िंदगी में आख़िरी तो नहीं
तू लड़खड़या ही तो है, गिरा तो नहीं
तू एक अकेला ही है हैरान, ऐसा भी नहीं
जो माँगेगा तो मिलेगा नहीं
मेहनत कर, तू अभी मरा नहीं
जीत उसकी नहीं जो गिरा ही नहीं
हार उसकी जो उठा ही नहीं
चल उठ खड़ा हो, चल पड़ अकेला
दुनिया से लड़, ना छोड़ हौसला
बैठे बैठे रोने से होता है किसका भला
बाबू सापों की दुनिया है ये, तू बन नेवला।