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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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अहंकार।

अहंकार।

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अपने दुःख यही सोच सीने में दफन किए रहते हैं।

भेजे हुए उस खुदा के हैं जो हमारे पास नजराना लाते हैं।।


घबराना मत इनसे तुम उसकी भेजी एक अमानत है।

जो डट जाते इस जीवन में असली सुख वही पाते हैं।।


जिसमें उसकी जो मर्जी हो वह खुशी की एक रोशनी है।

इन्हीं खयालों में जी-जी के हर लमहे हम बिताते हैं।।


फ़ख्र कर इस बात का है कि उसने बख्शी ये सांसे हैं।

फर्क इतना है कि हम फिर भी उन्हें गले नहीं लगाते हैं।।


दुःख में सुख की अनुभूति का भी एक अलग मजा है।

पहले तो वो रुलाते हैं फिर पल भर में हंसाते रहते हैं।।


हर सब्र का वह हमारे इम्तिहान है लेते हमेशा।

फिर भी नासमझ हम इतने उनका इम्तिहान लिए जाते हैं।।


कर सको तो नेकी कर जो भेजी उनकी ही इजाज़त है।

फिर भी "नीरज" "अहंकार" को अपने सीने से लगाए जाते हैं।।


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