STORYMIRROR

Kunal Goswami

Abstract

4  

Kunal Goswami

Abstract

आशिकी

आशिकी

1 min
712


मैंने कैसी ये आशिकी कर ली

अपनी नाकाम ज़िंदगी कर ली


तेरे जाने के बाद कुछ यूँ हुआ

मेरी खुशियो ने ख़ुदकुशी कर ली


तेरी तसवीर को बनाया और

रोशनाई से रोशनी कर ली


आपके हौसलों का क्या कहना

आपने फिर से दिल्लगी कर ली


और उम्मीद उनसे क्या कीजे

हैं दरिन्दे दरिंदगी कर ली


बेवफ़ा मैंने तो तेरी ख़ातिर

अपने यारों से दुश्मनी कर ली


धीरे धीरे मुझे भुलाया और

फिर मोहब्बत भी दूसरी कर ली


फिर किसी से न इश्क़ हो पाया

इसलिए मैंने शायरी कर ली। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract