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Krishna Khatri

Abstract

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Krishna Khatri

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सबका मुकाम एक !

सबका मुकाम एक !

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लाल गुलाबी नीले पीले हरे 

कुदरत में है रंग हजार 

इसी तरह

इस दुनिया में भी रंग हजार 

खिलखिलाती खुशी के 


महकती बहार के 

जिन्दगी की हर नज़्म के 

दुल्हन के जोड़े के 

दूल्हे की शेरवानी के 

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई

हैं सबके अपने-अपने रंग 

फिर भी सबका कफ़न सफेद !


ऐसा क्यों ?

इसलिए कि

आखिरी मुकाम भी 

है सबका एक ! 

एक ही श्मशान !

एक ही कब्रिस्तान !


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