लो मैंने भी उड़ना सीख लिया
लो मैंने भी उड़ना सीख लिया
मैंने बादलों पर अपनी बस परछाई
छोड़ उन्हें बेफिक्र उड़ते देखा है,
मुझे हर रोज़ एक नया दिन देते
गिर के संभलते देखा है,
हुजूम में एक टक अपने लक्ष्य की ओर
बेधड़क, बेबाक बढ़ते देखा है,
देखा है बारिश में उन्हें
मदमस्त होकर भीगते हुए,
एक सुर में सुबह- सुबह
जीवन में एक नया रस घोलते हुए,
तुम बस चुप बैठो
मुझे हर रोज़ एक नया दिन चुनना है,
मुझे हर रोज़ जिन्दगी में
इनकी तरह नया रंग भरना है,
नहीं डरना तुफान में नीड़
टूट जाने के भय से
मुझे इन्हीं की तरह फिर उड़ान भर कर
एक नए आसमां में उड़ना है।
