भीड़ में खोया हुआ एक चेहरा
भीड़ में खोया हुआ एक चेहरा
यूँ तो भीड़ में खोया हुआ
एक चेहरा हूँ
पर जब भी शिद्दत से ढूँढोगे
मिल जाऊंगा मैं
यूँ तो किस्मत की लकीर पर खिंचा
एक छोटा सा बिंदु हूँ
पर कभी गौर से देखोगे
तो नज़र आ जाऊँगा मैं
यूँ तो धूल से भरी कुछ
किताबों का हिस्सा हूँ
पर पोंछ कर देखोगे तो
कुछ लफ़्ज़ों में दिख जाऊँगा मैं
यूँ तो बादलों में छिपा एक सितारा हूँ
पर जब भी खुलेगा आसमान
चमकता हुआ दिख जाऊँगा मैं।