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BʜᴀɪʏᴀJɪ .

Inspirational

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BʜᴀɪʏᴀJɪ .

Inspirational

स्त्री

स्त्री

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वो सुंदर सुलह सुहानी सी

जाने क्या जादू लाये है..

आँखे रहस्मयी पत्र सी

जाने क्या राज दबाये है....


झुकती उठती उन पालकों ने

कितने ही संधि कराये है..

मेघ बहुत ही विचलित से उन

केशों से सावन कैसे आये है?....


बिन देखे बिन छुए मदिरा

बातों से मद्-पान कराये है..

गले मे लिपटा काला धागा

कंचन के पर्याय में आये है....


पायल के घुंगरू के 'छन्' से

सब लयबद्ध हो जाये है..

उससे अधिक रूपवती व 

रूप ना कोई पाए है....


प्रेम काम उत्पत्ति की देवी

विध्वंश उसी से आये है..

त्याग की अंतिम बिंदु की रानी

वो "स्त्री" कहलाये है....!


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