शेख चिल्ली
शेख चिल्ली
जीवन में श्रम से ही सब मिलता
ख्याली पुलाव पकाने से कुछ हाथ न लगता
बड़े बड़े सपने देख ,बड़ी बड़ी उम्मीदें बांध
सपनों के सारे खजाने को न तू अपना जान
सपने तो सपने हैं आखिर इक दिन टूट ही जाते हैं
हकीकत की कठोरता से परिचित हमें कराते हैं
बड़े बड़े सपने देखो तो कुछ उनपर श्रम भी करो
यूं ही ख्यालों में रहकर न विचरण तुम करो।
