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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Inspirational

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

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पैसे की दम

पैसे की दम

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पैसे की दम पर कोई भी नेता बन सकता है

पैसे की दम पर न्याय कोई भी ले सकता है


पैसे किसी को किसी का फैन बना सकते हैं

पैसे से आदमी आदमी को मरवा सकते हैं


पैसे की दम पर कहीं भी भीड़ बना सकते हैं

सब पैसे का खेल खेलते फिर होते मसीहा है


सब पैसे हैं जो खा रहे हैं वह सब रुपया है

सब रुपया विदेश में पैसे भारत में होते हैं


लोकतंत्र नाम है नीति ने कैसिऩों बना रखे हैं

जहां पैसे ही पैसे और गरीब इलाज को रोते हैं


योजना रुपया है मगर पहुंचते गरीब तक पैसे हैं।


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