STORYMIRROR

Dr. Madhukar Rao Larokar

Inspirational

2  

Dr. Madhukar Rao Larokar

Inspirational

" भगवान का चित्र " (3)

" भगवान का चित्र " (3)

1 min
646


बचपन में माँ मुझे

मातारानी के प्रसिद्ध दरबार में

मत्था टेकने ले गयीं !

मुझे सीढ़ियों के पास

गोदना बनाने वाली माई दिखी !!


मेरे मन में कौतुहल जागा

मैं वहीं रूक गया, देखा

माई हाथ-पैर, कान-नाक में

भगवान के,पौधों के, तितलियों के

विविध तरह की,आकृति बना रही थी !!


सभी स्त्री-पुरूष, बच्चे-बड़े

गोदना कढ़वा रहे थे और मशीन के

दर्द से आँसू बहा रहे थे

माँ ने आवाज़ लगाई

देर हो रही,आओ माता के दर्शन करेंगे!


मैंने ज़िद कर, माँ को बुलवा लिया

कहा मुझे भी गोदना कढ़वा दो

माँ ने समझाया,बेटा मशीन दर्द देती है

रहने दो बड़े होगे तो करवा देंगे

मैंने कहा नहीं अभी बनवाना है !!


माई ने कहा, बहनजी बच्चा ज़िद कर रहा है

मेरा बेटा,अच्छा गोदना, हाथ में बनाता है

माँ सहमत हो गयी, माई ने पूछा

बेटा कौन भगवान का बनाना है

माँ ने कहा ,हनुमान जी का बना लो

संजीवनी बूटी ,लेकर जो उड़ते हैं !!


मैंने कहा, माई मेरे हाथ में

मेरे माता-पिता का नाम लिखो

मेरे साथ रहेंगे, हमेशा चारों धाम

क्या करूंगा मैं "मधुर"

भगवान का चित्र बनाकर !!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational