Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Manju Rani

Tragedy

4.5  

Manju Rani

Tragedy

भावनाओं का सुनामी

भावनाओं का सुनामी

1 min
330


जब नीर आँसुओं-से न बहे

दर्द पीड़ा से पीड़ित हो

तो भावनाओं का सुनामी

चौखट पर दस्तक देगा ।

नदियाँ ऊपर से शांत-सी बहे पर

तल पर ज्वार-भाट्टे उगल रही हो तो सुनामी

तोड़ सब मर्यादाएँ विध्वंस मचाएगा ।

हवाएँ शांति से चल रही हो

पर अपने में लाखों बवंडर समाए हो

तो तूफान तो दुनिया उजाड़ेगा ।

समुद्र अपने किनारों में सिमत बहता हो

पर अंदर ही अंदर सुलगता हो तो सुनामी

तोड़ सब किनारे तबाही मचायेगा ।

पहाड़ बर्फ से ढके हो

पर अंदर लावे फूटते हो तो सुनामी

पर्वत श्रृंखलाएँ तबाह करेगा ।

तरू हरे-हरे नजर आते हो

पर अंदर घुन लगे हो

तो खोखले हो मिट्टी में मिल जाएँगे ।

घुन-से दर्दों में जीते लोग

अंदर ही अंदर सुलगते लोग

दर्द को छुपाते लोग

अपने को खोखला बनाते लोग

हकीकत से दूर भागते लोग

कब तक तड़पेंगे

आखिर एक दिन

गुब्बारे-से फट ही जाएँगे ।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Manju Rani

Similar hindi poem from Tragedy