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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Classics

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Classics

भारत सिरमौर बनेगा

भारत सिरमौर बनेगा

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उन्नीस सौ सैतालिस से हमारा देश है आज़ाद,

पर मज़हब जातीयता में देश होता रहा बरबाद।

आज़ादी के मायने अब तक न हुए हमें हासिल,

अक़्सर आपस में ही हम करते रहते हैं विवाद।।


आज़ादी के दीवानों ने उन्नति का देखा सपना,

भारत वर्ष में वह सपना पूरा न हो सका अपना।

हमकों हर हाल में पूरे करने उन वीरों के ख़्वाब,

परिश्रम व लगन से विकसित राष्ट्र हमें है दिखना।।


आडंबर कटुता विषता का छोड़ें हम सब दामन,

समरसता व सद्भाव से ख़ुशियों का हो आगमन।

निजस्वार्थ की भावना का परित्याग करें हम लोग,

भारतीयता धर्म का ही हम लोग अब करें नमन।।


क्षेत्रवाद जातिवाद मज़हब का छोड़े हम झगड़ा,

ऊंच-नीच हिन्दू-मुस्लिम न ही करें अगड़ा-पिछड़ा।

हमें चाहिए अपना योगदान देना देश के प्रगति में,

छोटी छोटी बातों में न उलझे न हो कोई लफड़ा।


नव सृजन से अब हमें बनाना है देश को ख़ुशहाल,

शिक्षा खेल व आर्थिक स्थिति करना है मालामाल।

देश में अमीर-गरीब के बीच न होगी कोई भी खाई,

सभी होंगे ख़ुश देश में अब कोई न रहेगा फटेहाल।।


पूरी दुनिया में हिंदुस्तान भविष्य में सिरमौर बनेगा,

भारत के ज्ञान और विज्ञान की बातें विश्व सुनेगा।

सोने की चिड़िया कहा जाता रहा है हिंदुस्तान को,

विश्व बन्धुत्व के भावना को भारत साकार करेगा।।


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