भारत माता
भारत माता
जयजयकार हो मा भारती की !!!
हर फौजी की अंतरात्मा में बसा है माँ ...
हर किसान की पसीने से सींचा हुआ
है भारत की मिट्टी ...
हर एक दलित , हर एक ब्राह्मण ,
हर एक वर्ग के लोगों को
मिलता है समान अधिकार ...
यहाँ हरिजन भी बापू जी के द्वारा
सम्मानित हुआ हैं ...
यहाँ हिंदू-मुसलमान-सिख-ईसाई-जैन-बौद्ध
हरेक जाति के लोगों को
मिलता है समानता का अधिकार ...।
तभी तो भारत माता को पूजता है
सारा विश्व ...
इसमें कोई दोराय नहीं कि माँ भारती
विश्वगुरु के सर्वोच्च आसन पर विराजमान है ।
ये देश है गणतांत्रिक अधिकारों का मिलनतीर्थ ...
ये देश है तिरंगे तले एक सूत्र में बंधा हुआ ...
तभी तो मेरा भारत है दुनिया का गहना ...
बेशक़ मेरी मातृभूमि है अन्नपूर्णा ,
मेरी मातृभूमि है शस्यश्यामला ...
मेरे देश की
विश्वभातृत्वबोध की
शक्तिशाली नीति
स्वामी विवेकानंद जी के
अमृतवाणी से प्रस्फुटित होकर
अमेरिका के शिकागो शहर में
११ सितंबर, १८९३ को
विश्वधर्म महासभा गृह में
उस ऐतिहासिक महाक्षण में
भारत माता को विश्वदरबार में
सगर्व परिचय करवाया ...
तभी आज मैं सब
भारत माता की
ममता की छांव में
अपना श्रेष्ठ जीवन
निर्वाह करने में
स्वयं को परम सौभाग्यशाली
मानता हूँ !
