अन्न-पवन और वरुण देव
अन्न-पवन और वरुण देव


सनातन संस्कृति तो है भारत भूमि की
पूजती प्रकृति के हर रूप को जैसे देव।
ये जो पर्यावरण के घटक होते हैं सारे ,
संतुलित रह जीवन रखते स्वस्थ हमारे।
पंचभूतों से रचित हम सबकी यह काया,
अति विचित्र ही बनाए हैं इसको प्रभु देव।
सनातन संस्कृति तो है भारत भूमि की
पूजती प्रकृति के हर रूप को जैसे देव।
अन्न-पवन और वरुण का हम सब हैं पूजन करते ,
पूजा है संरक्षण पद्धति जिसका अनुसरण हैं करते।
वृक्ष प्रकृति के संरक्षण में करते बहुत जरूरी काम,
ये पर्यावरण शुद्ध हैं करते और वर देते हैं ये भी देव।
सनातन संस्कृति तो है भारत भूमि की
पूजती प्रकृति के हर
रूप को जैसे देव।
अन्न देव हमें शक्ति देते, जो आती है बहुविधि काम,
कुछ करते हैं इनकी बर्बादी, सद्बुद्धि दें उनको राम।
ऐसे भी तो हैं लोग हैं सारे ,जो सो जाते हैं भूखे पेट,
ये भी सारे अपने परिजन इन पर कृपा करें सब देव।
सनातन संस्कृति तो है भारत भूमि की
पूजती प्रकृति के हर रूप को जैसे देव।
पोषण तो करती रहेगी , यह प्रकृति हम सबका ,
दायित्व हमारा होता है, करना संरक्षण भी इसका।
समृद्धि के मद में कभी न भूलें हम इनका सम्मान,
संरक्षण जो करेंगे प्रकृति का,तब ही रक्षा करेंगे देव।
सनातन संस्कृति तो है भारत भूमि की
पूजती प्रकृति के हर रूप को जैसे देव।