इस रात की सुबह होगी
इस रात की सुबह होगी
है बहुत लंबी रात ये
डर के जज्बात ये
दुख का आलम है छाया
महामारी ने प्रलय मचाया
लोग घर मे नजरबंद हैं
मानो मन में बस द्वंद्व है
कि इस रात की सुबह कब होगी ?
हो रही आँखों से आँसुओं की बरसात ये
छूट रहा क्यों अपनों का अपनों से साथ ये
चारों ओर चीत्कार बीमारी से हाहाकार
एक ख़ौफ़ एक भय की सी ललकार
ऐसे में अन्तर्मन मानो करता पुकार
कि इस रात की सुबह कब होगी ?
माना कि आज दौर ये बहुत बुरा चल रहा है
महामारी का ये समय सबको बहुत खल रहा है
फ़िर भी है उम्मीद कि जल्द ही इसको हराएंगे
हम भारत के लोग इस महामारी से जीत जाएँगे
हम वैक्सीन के मंत्र को घर घर पहुँचाएंगे
हम मास्क और दो गज की दूरी को अपनाएंगे
तब देखना जल्द ही इस रात की सुबह होगी
तब खिलखिलाते चेहरों पर ख़ुशी लहराएगी
तब स्वस्थ भारत के लोगों को न महामारी सताएगी
तब देखना एक मुस्कुराती किरन जल्द ही आएगी
और इस रात से जल्द ही मुक्ति वह दिलाएगी
वह सुबह जल्दी ही आएगी