ज़िन्दगी
ज़िन्दगी


ज़िन्दगी में अगर सबकुछ मिल जाता
तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा कहाँ आता !
कौन पूछता फिर उस ख़ुदा को
कौन मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारे जाता !
किसकी तमन्ना होती, फिर कुछ बनने की
इंसान, मेहनत शब्द का मतलब, कहाँ समझ पाता !
कुछ पाने की तमन्ना ही,
ज़िन्दगी जीने का मज़ा देती है !
नहीं तो इंसान अब तक,
ख़ुद ही ख़ुदा बन जाता !