पहली और आख़री मुलाकात
पहली और आख़री मुलाकात
वह हमारी पहली और आख़री मुलाकात थी।
ना मैंने कुछ कहा, ना उसने कुछ कहा।
बस आँखों ही आँखों से, हुई हमारी बात थी।
वह हमारी पहली और आख़री मुलाकात थी।
दिल में कहीं दीया, हम दोनों का जगा था।
पर करते भी क्या, आस पास बहुत भीड़-भाड़ थी।
पता तो था, कि नहीं मिल पाएँगे, दुबारा कभी।
फिर भी ना जाने क्यों, मोहब्बत हुई बेशुमार थी।
उसका चेहरा आज भी, मेरी आँखों के सामने है।
दुनिया में सबसे कीमती उसकी एक मुस्कान थी।
भूला नहीं जाता वो लम्हा कभी भी
वो मेरी यात्रा बहुत यादगार थी।
वही हमारी पहली और आख़री मुलाकात थी।