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Sajida Akram

Abstract

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Sajida Akram

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"भारत की पीड़ा "

"भारत की पीड़ा "

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क्या मैं वही भारत देश हूँ,

मैं भारत इतना बदल गया हूँ,

जहाँ की मिट्टी की सौंगध लेते थे,

जहाँ कबीर, गाँधी, सुभाषचंद्र,

बिस्मिल, भगत सिंह ने मिलकर,

दी थी क़ुर्बानी, क्या मैं वही भारत हूँ।


भारत के संविधान को बनाने में,

कितने पाक हाथों से लिखा गया था,

मेरे बापूजी ने कितने प्यार से सपने,

देखें थे जहाँ रहेगें हिन्दू, मुस्लिम, सिख,

ईसाई मिल कर भाई-भाई।


जहाँ कोस-कोस पर बदलती है बोली,

क्या मैं वही भारत देश हूँ ?

क्या मैं वही भारत देश हूँ,

जहाँ सोने की चिड़िया करती बसेरा,

जहाँ धरती उगले हीरे-मोती,

जहाँ अमन -शांति का है बसेरा,

क्या मैं वही भारत देश हूँ ?

क्या मैं वही भारत देश हूँ ?


जहाँ गंगा के तट पर शहनाई,

वादन करतें थे बिस्मिल्ला खां,

जहाँ मज़हब नहीं सीखाता था,

आपस में बैर करना, हम हिन्दी है,

वतन है हिन्दुस्तान हमारा,

क्या मैं वही भारत देश हूँ ?

क्या मैं वही भारत देश हूँ ?


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