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Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

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Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

भाई बहन का प्यार

भाई बहन का प्यार

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अटूट प्यार का रिश्ता है, कहलाता है भाई-बहन,

अपनी बहना की खातिर, कष्ट करता भाई सहन,

सदियों से चला आया है, यम यमी जैसा ही प्यार

यूं ही जग में चलता रहे, सदियां बीते कई हजार।


रक्षा बंधन का पर्व आता, भाई बहन को याद करे,

सदा कष्ट में खड़ा रहता है, कष्टों से वो नहीं डरे,

पवित्र बंधन जगत का होता, नाम है अटूट बंधन,

भाई पर कोई विपत्ति आये, बहना करती है क्रंदन


रक्षा सूत्र बांधती बहना, प्रभु से करती है विनति,

लंबी उम्र हो भाई की, हजारों साल करती गिनती,

एक बुलावे पर भाई भी, बहना को मिलने जाता,

लाख आशीष पाकर उनकी, बहन को गले लगाता।


धागों का त्यौहार कहलाए, पूरे जग में जाना जाता,

श्रावणी नाम त्यौहार इसका, सावन को करता पूरा

विभिन्न रंगों के रक्षासूत्र, ढूंढ-ढूंढ लाती है बहना,

शादी पूर्व बहना को ही, भाई के घर पड़ता रहना।


कोरोना काल में अमर है, भाई-बहना का यह प्यार

सदा सदा ही रहता है, भाई-बहन पर यह उधार,

कष्ट बहुत उठाने पड़ते, कहे इसको राखी त्यौहार,

सच्चे में अगर देखा जाये, यही है जग का आधार।


इतिहास गवाह है, गुरुकुलों में जनेऊ चलती थी,

वो भी रक्षा सूत्र रूप था, विद्या इससे पलती थी,

शीशुपाल का वध किया, रक्त प्रभु अंगुली आया,

द्रौपदी ने साड़ी फाड़, श्रीकृष्णने झटपट बंधवाया।


द्रौपदी की रक्षा की, जब भरी सभा में लाज बचाई,

श्रीकृष्ण के कहने से, युद्ध में रक्षा सूत्र बंधवाया,

जीत हुई थी पांडव की, रक्षा सूत्र ही काम आया,

रक्षासूत्रने समय समय पर कितनों को ही हंसाया।


पोरस की हुई लड़ाई, सिकंदर पत्नी भेजी थी राखी,

मेवाड़ की कर्णावतीने, हुमायूं को भेजी थी राखी,

कर्णावती आग में जल गई, हुमायूं तक आया था,

वादा निभाया देर से, पर अपना फर्ज निभाया था।


परंपरा राखी चलती रहेगी, कहते कितने नर नारी,

राखी की परंपरा पर्व है, सुंदर व्यवस्था है हमारी,

आओ रक्षा बंधन को, बहनों तक पहुंचा दे संदेश,

सुरक्षित रहेंगी पूरे जग में, दुष्ट कोई रहे ना शेष।।


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