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Uma Sureka

Romance

4  

Uma Sureka

Romance

बेवफाई

बेवफाई

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जुबाँ की बात जुबाँ पर रह गयी l 

कहना चाहती थी बहुत कुछ,

पर वह अधरों पर सो गयी,

आँखों से समझाया तो नासमझी हो गयी, 

जुबाँ की बात जुबाँ पर रह गयी l 


साँसों से आह निकली तो

गुनगुनाहट में बदल गयी, 

धड़कन ने धड़कना तेज किया

तो अनसुनी हो गयी l 

जुबाँ की बात जुबाँ पर रह गयी l 


नींद ने सुलाना चाहा तो

ख्वाब में तब्दील हो गयी,

जाम ने नशे में जगाया तो

नशीली बन गयी,

तपतपाती किरणों ने

गरमाया तो गीली हो गयी,

जुबाँ की बात जुबाँ पर रह गयी l 


ठिठुरती सर्द हवाओं ने

थपथपाया तो सिहरन छूट गयी,

ए वक्त, उन तक मेरी आवाज न पहुँच पायी,

क्या इसी का नाम है बेवफाई l  


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