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Uma Sureka

Others

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Uma Sureka

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मैं किरण हूँ

मैं किरण हूँ

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बादलों के घूँघट से किरणें चमचमाती हैं

शर्माती, इठलाती, धीरे गुनगुनाती हैं,

तारों सी जड़ी रौशनी फैलाती हैं,

सवेरा हो गया यह संदेश पहुँचाती हैंI


पर्वत इठलाया सा, निहारे उसे,

मानो कहे, "मुझ पर तेरी नज़र पहले पड़ती हैI"


किरण इस पर सहज ही कहती है,

मेरी राहें तुमसे नहीं, बादलों से परे पड़ती हैं,

हवाओं के संग मेरी खूब बनती है,

सूरज के आँगन में पलती हूँ,

जग के संग आँख-मिचौली खेलती हूँ,

साँझ होने पर ढल जाती हूँ,

पर नन्हें फूलों को सपने दे जाती हूँ,

क्या करें निशा से यारी छोटी है,

राहें हमारी नहीं मिलती है,

वचन फिर भी अपना निभाती हूँ,

दोबारा फिर जन्म लेकर आती हूँ,

दोबारा फिर जन्म लेकर आती हूँI"


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