इच्छा एक बेटी की
इच्छा एक बेटी की
पँख पसार, गगन को छूना चाहूँ,
तेरी कोख मेँ मत मार मुझेI
जीने का हक भी है,
उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI
लड़की नहीं, शिव दुर्गा हूँ मैं,
सागर मंथन से उपजी वो लक्ष्मी हूँ मैंI
सँभल जा, नादान नहीं समझ मुझे,
उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI
इँद्रधनुषी रंग हूँ, मत कर बेरंग मुझे,
बगिया की कली हूँ, मत तोड़ मुझेI
बिगड़ गई तो, काली-चण्डी बन जाऊँगी,
उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI
फूल की खुशबू, कवि की कविता हूँ मैं,
सूरज की किरण, चाँद की चाँदनी हूँ मैंI
धरती का मान हूँ, मत कर अपमानित मुझे,
उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI