STORYMIRROR

Uma Sureka

Abstract

4  

Uma Sureka

Abstract

इच्छा एक बेटी की

इच्छा एक बेटी की

1 min
452

पँख पसार, गगन को छूना चाहूँ,

तेरी कोख मेँ मत मार मुझेI

जीने का हक भी है,

उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI 


लड़की नहीं, शिव दुर्गा हूँ मैं,

सागर मंथन से उपजी वो लक्ष्मी हूँ मैंI 

सँभल जा, नादान नहीं समझ मुझे, 

उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI


इँद्रधनुषी रंग हूँ, मत कर बेरंग मुझे, 

बगिया की कली हूँ, मत तोड़ मुझेI

बिगड़ गई तो, काली-चण्डी बन जाऊँगी, 

उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI


फूल की खुशबू, कवि की कविता हूँ मैं, 

सूरज की किरण, चाँद की चाँदनी हूँ मैंI 

धरती का मान हूँ, मत कर अपमानित मुझे, 

उड़ना चाहूँ, मत रोक मुझेI


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract