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भाऊराव महंत

Romance

5.0  

भाऊराव महंत

Romance

बेवफ़ा होने के बाद

बेवफ़ा होने के बाद

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आप मेरे प्रेम को नीचा दिखाने के लिए अब

नीच से भी नीच कितने कृत्य करते जा रहे हो?


देवता सम आपको मैं रख जहाँ पर पूजता था

कार्य कोई भी करूँ मैं आपको ही पूछता था

जिंदगी के पल बिताए साथ में उस घर-अजिर को

नाम रखकर कौन-सा यह नृत्य करते जा रहे हो?

आप मेरे प्रेम को


आपको सब जानते हैं आप झूठी हो बहुत ही

साथ यह मालूम मुझसे और रूठी हो बहुत ही

फिर अनावश्यक परिश्रम सत्य को मेरे दबाने

झूठ को अपने स्वयं ही सत्य करते जा रहे हो। 

आप मेरे प्रेम को


जिस हृदय सम्मान था वह ख़त्म सारा हो चुका अब

प्रियतमे! हे प्रियतमे! मैं साथ प्यारा खो चुका अब

क्योंकि सुन ली आपकी जग से कही वह बात मैंने

आज तक मालिक रहे अब भृत्य करते जा रहे हो। 

आप मेरे प्रेम को


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