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Saumya Mishra

Abstract

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Saumya Mishra

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बेटी हुई पराई

बेटी हुई पराई

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शादी का दिन है आया,

रिश्तेदारों ने दी बधाई।

बारातियों का स्वागत हुआ,

पर बेटी हुई पराई।


बेटी को जाता देखकर,

पिता भी बहुत था रोया।

पर हाय उसकी किस्मत!

उसने ब्याह करवाकर बेटी को खोया।


डोली में बैठी बेटी,

और बाहर खड़ी मां।

दोनों ने आंसू बहाए,

पर बेटी वापस आएगी कहां।


ससुराल जाएगी अब वो,

ठहर जाएगी वह‌ वहीं।

इस घर की हंसी-खुशी भी,

लुप्त हो जिएगी कहीं।


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