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Tanha Shayar Hu Yash

Tragedy

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Tanha Shayar Hu Yash

Tragedy

बेसरकार भले

बेसरकार भले

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रैलियां नहीं थी लाखों लोगो की ,

पांच बुड्ढे आदमी भी चौक में पड़े थे। 

खुश थे हम सरकारी स्कूलों में जाकर ,

बिना पड़े ऑनलाइन पर फीस नहीं भरे थे।


ऐसी आवारा नाकारा निक्कमी

सरकार से तो हम, बेसरकार भले थे। 


हर तरफ झूठ फैलाया हवा भी बेच खाई ,

कभी ऐसी ठंडी के हमको लाले नहीं पड़े थे। 

बिन पैसे के मोल भाव कर लेते थे आपस में ,

नोट के मर जाने पर लम्बी -२ कतारों में नहीं खड़े थे। 


ऐसी आवारा नाकारा निक्कमी

सरकार से तो हम, बेसरकार भले थे। 


 ये तो दोष देते फिरते हैं 

कमज़ोर वज़ीरों पर ,

अपनी अच्छी थी पंचायत , 

जिसमे पांच आदमी भले थे। 

रो रहा हैं देश सिसक सिसक कर, 

लाचारी भुखमरी से मरे हैं ,

इससे बेहतर तो अविकसित थे,  

जहाँ इंसान इंसानियत पर खड़े थे। 


ऐसी आवारा नाकारा निक्कमी

सरकार से तो हम, बेसरकार भले थे। 


सरकारी से प्राइवेट , 

प्राइवेट से फिर सरकारी हुए

इन् गपले बाज़ों ने लूटा देश , 

ये फिर प्राइवेट करने पर लड़े हैं।

हर चुनाव में लोगों को ये दुराचारी झांसा देते हैं

इनसे अच्छे संस्कार तो लोहा लकड़ , 

गुली डंडा खेल कर पड़े हैं।


सच कहता हूँ ऐसी आवारा नाकारा निक्कमी

सरकार से तो हम, बेसरकार भले हैं, बेसरकार भले हैं


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