बेरोजगारी
बेरोजगारी


दिशाहीन हो भटके जवानी
मुसीबत आ गई लड़कों पर
मजबूर हुए हैं लूटपाट को
या उत्पात मचाने सड़कों पर
लड़कियां भी घरबार छोड़
दूर दूर हैं पढ़ने को जातीं
पढ़ लिख नौकरी कहीं नहीं
जो फिर काल सेन्टर चलातीं
एक तरफ है स्वाभिमान
है दूसरी तरफ मजबूरी
कैसे बर्तन मांजे किसी के
या कर लें कैसे मजदूरी
रोजगार का आलम ये है
या तो मजदूरी कर लो
या पहुंचाने गली मोहल्ले
रिक्शे में सवारी भर लो
अखबार में जो थी निकली
नौकरी सफाई कर्मचारी की
मिली न वो भी किस्मत से
इन पढ़े लिखे लाचारों की
पढ़ाई ने काबिल न छोड़ा
जो मजदूरी ही कर पाते
हिम्मत कर जो करते मेहनत
हम दो घंटे में ही थक जाते
हमारी व्यथा क्या कोई सुने
भगवान भी हमसे रुठे हैं
देश चलाने वालों ने सदा
हमें आश्वासन दिए झूठे हैं