बेलन मार अजीब है।
बेलन मार अजीब है।
बेलन मार अजीब है बोल सके ना कोय।
चुप कर मुस्कुरा कर बैठ जाए।
चाह कर भी सके ना रोए।
कैसे बताए कारण बेलन खाने का?
गलती भी तो उसकी ही होए।
गलती ना होती तो बेलन से घर में पकवान बना होता।
खाने की मधुर सुगंधों से घर पूरा महका होता।
कितना अच्छा होता जो करके नशा घर ना आया होता।
पत्नी का यह विकराल रूप भी तो ना देखा होगा।
काश अगर जो बेलन का सही प्रयोग हुआ होता।
पत्नी भी माफ ना करती अगर आगे दस दिन तक और बर्तनों के साथ बेलन ना धोया होता।
बेलन मार अजीब है बोल सके ना कोय।
एक दिन तो खाया उसको तब से रोज ही बर्तन धोए।