बेगैरत इश्क
बेगैरत इश्क
तुझसे दिल लगाने की कोशिश में,
ये दिल टूट कर और बिखर गया,
तेरी बेवफाई के रहम ~ओ ~करम से,
एक सुलगती चिंगारी का दम घुट गया।
हर साँझ तेरी राह तकता था ये दीवाना,
तेरी ही यादों में गुम था दिल ~ए ~खज़ाना,
तेरे हर इशारे पर जो नाचा बिन घुँघरु,
आज बिन पायल उसका घुँघरु टूट गया।
तूने जीना सिखाया तूने मरना सिखाया,
तुझमे इतबार ~ए ~ यकीं का आईना पाया,
उस आईने में देख तेरी भोली सूरत,
मेरे चेहरे का रँग और उड़ गया।
अब बाकी ना बची कोई जीने की तमन्ना,
खत्म कर लूँ खुद को तुझे हो कोई कमी ना,
तेरी खुशहाल ज़िन्दगी में अब हो ना अन्धेरा,
हर अंधेरे से जोड़ खुद को मैं कहीं गिर गया।
इश्क बेगैरत अपना होगा इतना
ये सोचा नहीं था मैने कभी भी ना,
अपने टूटे दिल की सरगम बजाकर,
एक धुन तेरे कानों में मैं छोड़ गया।