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Sarita Kumar

Romance

4  

Sarita Kumar

Romance

बेगाना

बेगाना

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खास तुम 

इतने भी नहीं थे

वो तो 

मैं जरा कम अक्ल थी 

कुएं की मेंढक थी 

दुनिया देखी नहीं थी 

तुम्हीं पहले पुरुष थे

जिसे करीब से देखा था 

अद्भुत, अनोखा और हम लड़कियों से अलग 

कुछ आकर्षक से लगे थे

सबसे खास बात ये थी

कि जब देखूं तुम्हें 

तो निगाहें नीची 

कर लेते थे

तुम्हारा यूं अस्त व्यस्त हो जाना 

बड़ा कौतूहल पैदा करता था ...

क्यों नहीं मिलने देते थे

हमारी निगाहों को ....

कर लेने देते आंखें चार 

ढूंढ लेने देते मुझे 

अपनी आंखों में ....

तो आज सदियों बाद भी 

मैं तुम्हारे पीछे पीछे नहीं आती ...

देखो जरा सा मुड़कर

मेरे पीछे पूरी कायनात खड़ी हैं 

ढूंढने तुम्हारे आंखों का राज ....

जिसकी तलब ने 

मुझे दीवानी बनाया है 

छोड़ छाड़ के घर द्वार 

जोगन बना दिया है 

कभी राधा सी आसक्त 

कभी मीरा सी मगन 

चल पड़ी हूं 

तुम्हारे ओर 

ना कोई ठौर ना ही ठिकाना 

मगर दिल मेरा यूं हो गया बेगाना .....!



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