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Sarita Saini

Tragedy

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Sarita Saini

Tragedy

बेचैनी दिल की

बेचैनी दिल की

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कहूँ क्या मैं तुमसे ऐ मेरे दिल के चैन,

अपनी बेताबी, बेचैनी या ग़मों से भरी...

इन रातों की चुभन को।


तुम ही कहो न कैसे संभाले हम...

अपने इस मचलते मन को,

तुम्हारी याद में हर पल बरसते हैं मेरे नैन...

कहूँ क्या मैं तुमसे ऐ मेरे दिल के चैन।।


अपने शबनमी होंठों की प्यास,

थिरकते कदम या फिर अपनी दिवानगी को,

क्यों याद आते हो तुम मुझे इस तरह...

कैसे बतायें हम ये सभी को।


तेरे बिन कटे न अब तो ये दिन रैन...

कहूँ क्या मैं तुमसे...

ऐ मेरे दिल के चैन...!!!


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