बेबसी
बेबसी
जब तुम हर्षित होते हो
बहुत तेज बारिश से,
तुम आनंद लेते हो
घर मे बैठ पकौड़ो का।
तब वो बैठा आकाश ताकता है,
उसकी भूख-प्यास मर जाती है,
तब उसे बस यही चिंता सताती है कि
फसल को कितना नुकसान होगा?
जब हमारे बच्चे ओले बटोर बटोर
आनंद लेते है,
हम भी हर्षित होते देख
गिरते ओले।
तब वो सिर पकड़े बैठा होता है,
ओले उसकी फसल पर ही नही
उसके दिल पर भी चोट करते हैं।
तरस आता है उन लोगो की सोच पर
जो आज किसान को
गलत कह रहे हैं।
एक बार जी कर देखो
किसान का जीवन
तब शायद समझ सको
उसकी बेबसी को,
उसकी चिंताओं को।
