बदनसीब
बदनसीब
मैं बदनसीब हूँ
जो चाह कर भी न पा सकी
मैं बदकिस्मत हूँ
जो पा कर भी न अपना सकी
या ख़ुदा..तेरे हाथों
मैं एक खिलौना हूँ
जिससे तूने जब चाहें
जहाँ चाहे खेला है
कभी ख़ुशियाँ बहुत दी
कभी गम बहुत दिए
सोचती हूँ मौत
आ जाये अब तो
जितना जीना था हमें
हम तो बस जी लिए!