बदलती बयार
बदलती बयार
जाते हुए को रोक पाना मुमकिन नहीं
सच कहें ऐसी कोई इच्छा भी नहीं
नया वर्ष आ रहा है नन्हे शिशु की मानिंद
चहकेगा महकेगा और मुस्कुराहट फैलाएगा
धीरे धीरे परिपक्व होगा और जलवा अपना दिखाएगा
फिर एक दिन वह भी हो जाएगा रुखसती को तैयार
यह तो समय है, ऐसे ही बदलेगा बार बार
बदलाव ही तो जीवन का परम और अंतिम सत्य है
फिर क्यों हम इसे सहर्ष नहीं स्वीकारते
'हमारे जमाने में तो ऐसा था' का राग अलापते
हर सिक्के के होते हैं दो पहलू
बुराई है तो अच्छाई भी सदा साथ खड़ी
दोनों के साथ ही दुनिया सदा आगे बढ़ी
बदलाव की बयार को स्वछंद बहने दें
सारी कुंठाओं को अब पीछे ही रहने दें
समय की गति के साथ कदमताल मिलाएँ
नई खिलती कोंपलों के साथ मुस्कुराएँ।।
