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Chandni Purohit

Abstract Inspirational

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Chandni Purohit

Abstract Inspirational

बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते

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तिरंगे में लिपटा आया था वो जब तू अजन्मा बालक था 

निहार रही मैं खड़ी दरवाजे के पीछे टकटकी लगाये उसी की और


सिंदूर मिटा था उस दिन मेरा या हुआ रिश्तों का बंटवारा था 

माता बनना था मुझे बस तेरी अब पिता भी तेरा मुझे ही कहलाना था 


जिस घर की थी बहु मैं इकलौती पल मैं बेटा उनका बन फ़र्ज़ निभाना था 

शहादत उसकी माँ भारती के लिये उस पर रोना ना मुझे गंवारा था 


एक माँ की गोद सूनी हो भले लाखों माँ का लाल आज मुस्कुरा रहा था 

रिश्ते नाते पल में बदल गये लाल जोड़ा देख सोच रही हूँ मैं उसी की और 


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