बदलते दौर में तुम
बदलते दौर में तुम
हे अष्टभुजा धारी !
अद्भुत नारी !!
कर्म क्षेत्र में ...
बहुत महत्वपूर्ण
भूमिका है तुम्हारी !!
घर के सभी कामों के
अतिरिक्त भी बाहर की
भी है जिम्मेदारी ...
पढ़ लिखकर दोहरी भूमिका !
तुम हो निभाती !!
घर में चूल्हा चौकी !
और बाहर के कार्य निबटाती !!
ऐसे में तुम अपने लिए ...
थोड़ा सा भी समय कहाँ हो पाती ?
धरती जैसे चलती रहती !
नदिया जैसे बहती रहती !!
हवा सी मानो उड़ती रहती !
घर तुमसे ही बतियाता !
मानो तुमसे ऊर्जा पाता...
बदलते दौर में भी न
बदली छवि तुम्हारी !
अब भी अहम भूमिका है सारी!
ऑनलाइन की मदद से,
करती तुम ढेर सारे काम ।
डिजिटल दौर में भी तुमने...
पूर्ण तत्परता से अपनी ड्यूटी निभाई !
बिल भरना हो या मंगानी हो दवाई !!
झट से फट से ऑनलाइन मंगवाई !
दूध सब्जी या फल भी मंगवाती !
अपने बुद्धि कौशल से अपने कर्तव्य निभाती !
तुम्हारी इस दोहरी जिम्मेदारी को हमारा नमन !!
तुमने दिखा दिया है कि तुमसे ही है परिवार एक
हंसता खिलता चमन !!
